From last 60 years we are just debating/fighting and making issue of 'Ayodhya' and still unsure about many questions..Do we really need to know what/when/how and how long something was there and now what is there? will these questions get solved and can we able to see the FINAL words on Ayodhya?
Recently I heard a nice poem from Prasoon Joshi on Ayodhya and it gives a pinch to my heart.
kisi ne kuch banaya tha, kisi ne kuch banaya hain..
kisi ne kuch banaya tha, kisi ne kuch banaya hain..
Kahi mandir ki parchayee, kahi masjid ka saya hain..
Na tab pucha tha hamase, na ab puchane aaye hain..
Hamesha faisale karake hame yuhi sunaya hain..
kisi ne kuch banaya tha, kisi ne kuch banaya hain..
hame fursat kaha? roti ke golayee ke chakkar se...
Na ja ne kiska mandir hain, na janae kiski masjid hain..
Na ja ne kon ulzhata hain sidhe sache dhangaon ko...
Na ja ne kon ulzhata hain sidhe sache dhangaon ko...
Na ja ne ye kiski sajish hain, na ja ne kiski ye jid hain...
Ajab sa silsila hain, na jane kisane chalaya hain....
kisi ne kuch banaya tha, kisi ne kuch banaya hain..
Who kahate hain tumhara hain, jara tum ek najar dalo..
Who kahate hain badho mango zaroori hain, na tum talo..
Who kahate hain badho mango zaroori hain, na tum talo..
magar apani jarurat to hain bilkul hi alag isase..
jara thahrao jara socho hame sachonme mat dalo...
batayo kon ye shola mere angan main laya hain...
kisi ne kuch banaya tha, kisi ne kuch banaya hain..
Agar hindu main andhi hain, agar tufa musalma hain..
to aayo andhi tufan yaar banake kuch naya kare...
to aayo andhi tufan yaar banake kuch naya kare...
to aayo ek nazar dale aaham se kuch sawalon par...
Kayi kone andhere hain, mashaloan ko diya karate hain..
Kayi kone andhere hain, mashaloan ko diya karate hain..
Ab asali dard bolenge jo sine main chupaya hain..
kisi ne kuch banaya tha, kisi ne kuch banaya hain..
किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया हैं..
किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया हैं..
कही मंदिर की परछाई हैं, कही मस्जिद का साया हैं..
ना तब पुछा था हमसे, ना अब पुछने आये हैं..
हमेशा फैसले करके, हमें युही सुनाया हैं..
किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया हैं..
हमें फुर्सत कहा, रोटी के गोलाई के चक्कर से..
ना जाने किसका मंदिर हैं, ना जाने किस की मस्जिद हैं..
ना जाने कोण उलझा था हैं, सीधे सच्चे धन्गोँ को..
ना जाने कोण उलझा था हैं, सीधे सच्चे धन्गोँ को..
ना जाने किसकी साजिश हैं, ना जाने किसकी ये जिद हैं..
अजब सा सिलसिला हैं, ना जाने किसने चलाया हैं..
किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया हैं..
वो कहते हैं तुम्हारा हैं, जरा तुम एक नजर डालो..
वो कहते हैं बढ़ो मांगो ज़रूरी हैं, ना तुम टालो..
वो कहते हैं बढ़ो मांगो ज़रूरी हैं, ना तुम टालो..
मगर अपनी जरुरत तो हैं बुल्कुल ही अलग इससे..
जरा ठहरो जरा सोचो, हमें सचोंमें मत डालो..
बतावो कोण ये शोला मेरे आंगन मैं लाया हैं..
किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया हैं..
अगर हिन्दू मैं अंधी हैं, अगर तुफा मुसल्मा हैं..
तो आओ अंधी तूफान साथ मिलके कुछ नया करे..
तो आओ अंधी तूफान साथ मिलके कुछ नया करे..
तो आओ एक नजर डाले अहम् से कुछ सवालों पर..
कई कोने अँधेरे हैं, मशालों को दिया करते हैं..
कई कोने अँधेरे हैं, मशालों को दिया करते हैं..
अब असली दर्द बोलेंगे जो सीनों मैं छुपाया हैं..
किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया हैं..
Do we really bother about the verdict of Ayodhya?
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